मंदाकिनी या आकाशगंगा क्या है

                                आकाशगंगा(galaxy)
आकाशगंगा

मंदाकिनी अरबों तारों का एक विशाल निकाय है| तारे मंदाकिनी के साथ मंदाकिनी के अंदर उपस्थित गुरुत्वाकर्षण बल, आकर्षण बल, तीव्र बल ,कमजोर बल के साथ बंधे रहते हैं हमारे ब्रह्मांड में लगभग 100 अरब मंदाकिनीया और प्रत्येक मंदाकिनी में सौरभ तारे हैं हमारे ब्रह्मांड में लगभग 10000 अरब तारे हैं और लगभग 1 मंदाकिनी में 50 अरब ग्रह हैं और इनमें 50 करोड़ ग्रह अपने तारे से सामान्य ताप पर जीवन जीने लायक स्थिति में है मंदाकिनी ओं में इसके अलावा उपग्रह ,क्षुद्रग्रह ,उल्कापिंड, पत्थर ,धूल ,गैसे इत्यादि हैं मंदाकिनी के 95% भाग में तारे और 5% भाग में धूल और गैसे हैं

मंदाकिनीयों का वर्गीकरण( classification of galaxy) 

 मंदाकिनीयों को उनके आकार के आधार पर तीन भागों में बांटा गया है
1. सर्पिल( spiral) 
2. दीर्घ वृत्तीय(elliptical) 
3. अनियमित(irregular) 

सर्पिल आकाशगंगा... 
 हमारे ब्रह्मांड में सबसे ज्यादा पाई जाने वाली मंदाकिनी यही है हमारे ब्रह्मांड में यही 80% पाई जाती है सर्पिल गैलेक्सी डिस्क के आकार की होती है जिसके बीच का भाग  उभरा होता है इस गैलेक्सी में स्थित तारे अपेक्षाकृत कम आयु के होते हैं हमारी आकाशगंगा दुग्ध मेखला इसी के अंतर्गत आती है

दीर्घ वृत्तीय आकाशगंगा.... 
हमारे ब्रह्मांड में यह 17% पाई जाती है दीर्घ वृत्तीय आकाशगंगा चक्र आकार या गोलाकार होती है इन आकाश गंगा का केंद्र बहुत चमकीला होता है और परिधि की तरफ कम चमक होती है इन आकाशगंगा में उपस्थित तारे अपेक्षाकृत अधिक उम्र के होते हैं

अनियमित आकाशगंगा..... 
G यह आकाशगंगा हमारे ब्रह्मांड में तीन प्रतिशत पाई जाती हैं अनियमित आकाशगंगा का कोई निश्चित आकार नहीं होता है इनके आकार में परिवर्तन होता रहता है कम गुरुत्व शक्ति के कारण इन में ऐसा होता है यह कोई नहीं जानता कि आकाशगंगा एक निश्चित रूप क्यों धारण करती है शायद यह आकाशगंगा के वेग गुरुत्व शक्ति और उस में स्थित तारोंं के बनने कीी गति पर निर्भर करती है
बौना या dwarf आकाशगंगा...... 
G यह आकाशगंगा सबसे छोटे प्रकार की होती है हमारी आकाशगंगा दुग्ध मेखला में ऐसी 100 आकाशगंगा ए बनेगी इनमें कुछ बिलियन ही तारे पाए जाते हैं इस कारण दूसरी बड़ी आकाशगंगा के गुरुत्वाकर्षण के अंतर्गत आकर यह उनके चक्कर लगाती हैं वैज्ञानिकों ने हब्बल टेलीस्कोप द्वारा देखा कि हमारी आकाशगंगा दुग्ध मेखला के चारों ओर लगभग एक दर्जन बौनी आकाशगंगा चक्कर लगा रहे हैं
 आकाशगंगा कैसे बनते हैं और मरते हैं.... 
 महा विस्फोट के पश्चात हमारे ब्रह्मांड में कई गैसें और पदार्थ फैल गए इनके आकर्षण के कारण कई तारे बने उपग्रह बने जो अपने ही गुरुत्वाकर्षण बल के कारण एक दूसरे के आकर्षण बल के कारण रुके हुए हैं इनसे धीरे धीरे आकाशगंगा ए बनी| आकाशगंगा के जन्म के बारे में वैज्ञानिक अभी खोज कर रहे हैं यह कुछ वैज्ञानिकों के मत थे जो मैंने ऊपर बताए हैं| आकाशगंगा की घूर्णन की गति बहुत तेज होती है जिससे कभी कभी यह आपस में टकरा जाते हैं और नई आकाशगंगा को जन्म देते हैं इस टकराव से आकाशगंगा का जन्म भी होता है और आकाशगंगा का अंत भी हो सकता है कुछ आकाशगंगा ऐसे भी हैं जिनमें अभी भी तारों का निर्माण हो रहा है इन्हें हम प्रोटो गैलेक्सी कहते हैं

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Write by...  Aditya Kumar
     
                                

    


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